छत्तीसगढ़ में ED के हमलो से बहुत सारे सम्माननीय लहूलुहान हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार कोल और कोल ट्रांसपोर्ट से 3.50 करोड़ महीने की आय हो रही थी। माइनिंग से करीब 200 करोड़ रूपए महीने और Excise (शराब) के कारोबार से करीब 400 करोड़ रूपए महीने की कमाई है। इस हिसाब से साल में करीब 10-12 हजार करोड़ की उगाही का मामला ED को मिला है। ये संभावित आकड़े हैं और ED ने इस मामले में officially कुछ नहीं कहा है। ED ने अभी तक जो केस दर्ज किये हैं उस चार्टशीट में सिर्फ 3.50 करोड़ रूपए लिखा है। ये तो हुई उगाही की रकम की बात अब आप इन तीन कॉलम पर ध्यान दीजिये। ये नाम हमने अब-तक छपी रिपोर्ट्स के आधार पर बनाये हैं। पहला कॉलम है अधिकारियों का अनिल टुटेजा रानू साहू के.डी. कुंजाम पी.अंबलगन समीर विश्नोई जयप्रकाश मौर्या दीपांशु काबरा सौम्या चौरसिया 2. दूसरा कॉलम है राजनितिक दलालो का इसमें है,,,रामगोपाल अग्रवाल विनोद चंद्राकर देवेंद्र यादव चन्द्रिका राय एजाज़ ढेबर प्रतीक जैन अनवर ढेबर अग्नि चंद्राकर के.के.श्रीवास्तव 3. ये तीसरा कॉलम है प्रदेश के धन्ना सेठों का कमल सारडा सूर्यकांत तिवारी लक्ष्मीनारायण बंसल निखिल चंद्राकर बलदेव सिंह भाटिया यश टुटेजा सुरेश बांदे सुनील अग्रवाल लक्ष्मीकांत तिवारी अब इसमें दो बाते बहुत आश्चर्य जनक हैं, पहली की पूरी लिस्ट पर नजर डालिये इसमें सर्वोच्च अधिकारियों से लेकर गल्ली-मोहल्ले के तड़ीपार गुंडे शामिल हैं। बड़े बिज़नेस मैन से लेकर दमड़ी के दलाल और तांत्रिक भी शामिल हैं। मतलब ऐसा क्या हो रहा है छत्तीसगढ़ में की समाज का हर वर्ग ED की निगाह में है। ऐसा शायद पहली बार हुआ होगा ED की हिस्ट्री में की एक ही जाँच में CM कार्यालय से लेकर सुपेला भिलाई के तड़ीपार, बिलासपुर के तांत्रिक, रायपुर के CA ,कोरबा के जमीनों के दलाल, रायगढ़ और अकलतरा के पावर प्लांट के दलाल ,बिलासपुर और राजनांदगांव के शराब ठेकेदार, स्कूल और स्टील प्लांट के मालिक सब शामिल हैं। दूसरी आश्चर्य जनक बात यह है की छत्तीसगढ़ सरकार चलाने वाले लोग ब्राम्हण, बनिये, सरदार ,और पंजाबियों , तमिल से डील कर रहे हैं। इन तीनो कॉलम पर नजर डालिये तो इसमें आपको छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया बहुत कम दिखेंगे। क्योकि छत्तीसगढ़िया है ही सबले बढ़िया। संतोषी ,भोला और ईमानदारी से सादा जीवन जीने वाला।