शैलजा का जलवा : छ.ग. में घेराबंदी शुरू
कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाने के पीछे कांग्रेस की सोच क्या है ? शैलजा दलित चर्मकार समाज से आती हैं । इसे पहले PL पुनिया भी दलित समाज के थे। आखिर एक ट्रायबल, OBC प्रदेश में जिसमें सिर्फ 10 SC सीटें हैं, उसमें एक दलित नेता को प्रभारी क्यों बनाया जाता है ?
शैलजा मात्र दलित नेता नहीं है, वो एक पढ़ी-लिखी ठोस कांग्रेसी नेता हैं। उनको सोनिया और प्रियंका का करीबी माना जाता है। यहाँ तक की जब सोनिया बीमार पड़ती हैं तो अपने करीब सिर्फ शैलजा को आने देती हैं । शैलजा के मुकाबले पुनिया एक निहायत ही लचर, असभ्य, गैर कोंग्रेसी नेता थे। उन्होंने 4-5 साल प्रदेश को लूटने के अलावा और कोई ठोस काम नहीं किया। वो मायावती के सेक्रेटरी और बाद में UP के चीफ सेक्रेटरी थे। पॉलिटिक्स में उन्हें लाने वाली भी मायावती थी। उत्तरप्रदेश का इंचार्ज रहते हुए दिग्विजय सिंह उन्हें भारी दलित नेता बताते हुए कांग्रेस में ले आये थे। कांग्रेस में आकर उन्हें महासचिव बना दिया गया और उन्होंने अपना लूट पाट का कार्यक्रम चालू कर दिया।
ऐसा कांग्रेस हाई कमान से सन्देश है की शैलेजा को प्रियंका ने छत्तीसगढ़ भेजा है। शैलजा ने आते ही बड़े सुलझे हुए तरीके से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। वो कांग्रेस नेताओ, मंत्रियो, विधायकों और कार्यकर्ताओ से बारी-बारी बैठक लेकर प्रदेश की राजनिति की हवा को अच्छी तरह से समझ रही हैं ।
इसलिए हमें भी जानना जरूरी है की कुमारी सैलजा हैं कौन ? शैलेजा के पिता दलबीर सिंह 4-5 बार सिरसा से सांसद रहे। इंदिरा गाँधी के बहुत करीबी माने जाते थे। इसलिए उनकी हर कैबिनेट में उन्हें कोल पेट्रोलियम जैसे भारी भरकम डिपार्टमेंट दिए गए। लेकिन 1987 में 61 साल की आयु में उनकी मृत्यु हो गई, तब शैलेजा कॉलेज में ही थीं । 1990 में उन्हें महिला कांग्रेस में राजीव गाँधी ने पद दे दिया और 1991 में सिरसा से लोकसभा का टिकिट। बाद में वो नरसिम्हा राव के करीब हो गई। राव ने उन्हें अपनी कैबिनेट में राज्य मंत्री बना दिया। फिर 2004 से 2014 तक वो मनमोहन सिंह की कैबिनेट में भी मंत्री रही। 2014 से 2020 चुनाव हारने के बाद वो राज्यसभा में थी हरियाणा से।
कुछ कॉन्ट्रोवर्सी से भी उनका नाता रहा है। अप्रैल 2010 में कुछ जाटों ने हिसार के मिर्चपुर गांव में दलितों के घर में आग लगा दी। करीब 150 दलित मिर्चपुर से भाग गए थे और शैलजा ने उनको सहारा दिया था। मिर्चपुर कांड की वजह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो उस समय हरियाणा के CM थे उनसे शैलजा की अनबन भी ही गई थी। इस बीच शैलजा पर जाटों ने भी एक केस कर दिया था।
2014 में शैलजा के दिल्ली निवास में उनके नौकर की लाश मिली थी। बाद में शैलजा के बावर्ची को गिरफ्तार किया गया जिसे मामला रफा - दफा हुआ। यंहा आने से पहले शैलजा करीब ढाई वर्ष तक हरियाणा PCC की अध्यक्ष रह चुकी है। अब छत्तीसगढ़ में महिलाओं को उम्मीद करनी चाहिए की कांग्रेस की टिकटों में उनका नाम बढ़ेगा।