राहुल गाँधी क्यों असफल हो रहें हैं और उन्हें क्या करना चाहिए ? ये ज्ञान देने वाले उनको घेरे हुए हैं और मीडिया के हर चैनल से उनकी तरफ हर रोज एक नयी पुड़िया फेक रहें हैं। फिर भी राहुल इनकी advice और advisors के बावजूद क्यों सफल नहीं हो रहे हैं। यहां हम भी ज्ञान बाटेंगे लेकिन अपनी ज्ञान की पुड़िया को दो विषयो तक सीमित रखेंगे - राहुल का व्यक्तित्व और उनकी Communication Strategy - "आखिर लोग राहुल को दगा क्यों देते हैं ?" - राहुल अपने चारो तरफ वफादार लोगों की एक फौज क्यों नहीं खड़ी कर पा रहें हैं ? उनके सबसे करीबी लोग ही उनके पीठ में छुरा भोकने का काम करते हैं। चाहे वो जितिन प्रसाद, सुष्मिता देवी, R.P.N सिंह या सचिन पायलेट। और आज जो उनके साथ खड़े हैं चाहे वो सुरजेवाला हो K.C. वेणुगोपाल या अशोक गहलोत या फिर जयराम रमेश इनमे से कब कौन कितना धोखा देगा या दे रहा है ये कहा नहीं जा सकता। राहुल की और एक बड़ी गलती ये है कि वे आन गांव के फ़क़ीर को लाकर ऊँची जगह बैठा देते हैं, जैसे हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर, कन्हैया कुमार, प्रियंका चतुर्वेदी, अजय कुमार और जयवीर शेरगिल। "इसका मुख्य कारण है राहुल का अपना व्यक्तित्व" इसमें कोई शक नहीं की राहुल एक सुलझे हुए संभ्रांत और अतिसभ्य व्यक्ति हैं। वो अपने एजुकेशन और फैमिली बैकग्रॉउंड की वजह से अपने करीबियों को बराबरी का ओहदा देते हैं। "किसी भी ज्योतिरादित्य को अपने बराबरी में खड़ा करने की भूल किसी भी गाँधी को नहीं करनी चाहिये।" हर सिंधिया को दरबार में हाथ बांध कर खड़ा रहने की आदत है। उसे आप कंधे पर बैठाओगे तो वह आपका कन्धा गन्दा ही करेगा। लीडर को हमेशा अपने समर्थकों और चापलूसों से दो गज की दूरी बनाकर ही रखनी चाहिये। जिस भी व्यक्ति को आप बराबरी का ओहदा देंगे वह मन ही मन अपने आपको आपसे बेहतर ही समझने लगेगा। आपकी सारी कमियां उसको दिखाई देने लगेंगी। ये मानव प्रवृति हैं। नरेंद्र मोदी ने सिंधिया को अपने पाले में खींचा और फिर उसीके राज्य में उसीके मंदिर में उसको उसकी जगह दिखा दी। महाकाल मंदिर को सिंधिया परिवार अपना मंदिर समझता है और सबसे पहले पूजा का अधिकार अपना मानता है लेकिन मोदी ने दिखा दिया की तुम सुरक्षा घेरे के अंदर नहीं आ सकते। तो सिंधिया बाकि भाजपा के प्रमुख नेताओं के साथ बाहर कोर्निश बजाते रहे। सिंधिया सिर्फ एक example है राहुल ने जिस भी राजनीतिक प्यादे को मित्र माना उसने ही राहुल को डसा। राजनीती में कोई मित्र नहीं होता खास कर लीडर का। सिर्फ एक प्रमुख सेनापति होता है। जैसे मोदी का शाह और सोनिया का अहमद भाई पटेल या कमलनाथ के मिग्लानी। अब ये नेता या राजा पर डिपेंड करता है की वह कितना अच्छा सेनापति चुनता है। या अगर उसके पास एकाध दर्जन अच्छे लोग हैं, तो उनके बीच किस तरह कार्य का बटवारा करता है। राहुल ने अभी तक यह ज्ञान प्राप्त नहीं किया है कि वह किसके माध्यम से पार्टी चलाना चाहते हैं।राहुल को किसी Voice Coach या स्पीच कोचिंग की भी जरूरत है अभी उनकी आवाज़ बहुत ही कर्कश लगती है और उनमे वह वजन नहीं हैं, जो एक सुलझे हुए राष्ट्रीय नेता की आवाज़ में होनी चाहिए। मोदी ने भी साल भर परेश रावल से एक्टिंग और स्पीच की कोचिंग ली थी। जिसकी एवज में उन्हें अहमदाबाद से MP बनाया गया। अब दोनों में अंतर यह है राहुल अपने मन की बात कह देते हैं। और मोदी मन की बात क्या होनी चाहिए ये बोलते हैं। राहुल को भी शाहरुख़ या आमिर से 6-8 महीने कोचिंग लेनी चाहिये। दूसरा Subject जिसपर हम ज्ञान देंगे वह है – Communication पिछले 8-10 साल में राहुल या कांग्रेस की कोई भी असरदार Strategy सामने नहीं आई है। अपने को कन्हैया और नवजोतसिंह सिद्धू से घेर लेने मात्र से कम्युनिकेशन की कला नहीं आ जाएगी। ये तो मानी हुई बात है की गोदी मीडिया और टीवी चैनल्स कांग्रेस या राहुल के किसी काम के नहीं हैं। तो भी राजनीती में communicate तो करना ही पड़ेगा। पवन खेरा और सुप्रिया त्रिनेत अच्छे Spokes Person हैं लेकिन ये उन्ही सब्जेक्ट पर बोल सकते हैं जिस पर TV इनसे पूछ रही हैं। पिछले 8 वर्षों में हमने देखा है की डिबेट और उसके सारे विषय वक्त की नज़ाकत के हिसाब से भाजपा के पक्ष में ही होते हैं। जब विषय ही भाजपा के फेवर में है तो चिखने चिल्लाने और हास्य व्यंग से कुछ हासिल नहीं होता है। राजनीती में आपकी अपनी Communication Strategy होनी चाहिए और उसके माध्यम आपको खुद बनाने होंगे। छोटी पार्टी होने के वावजूद "आप" ने यह काम बहुत अच्छे से किया है। कांग्रेस और विशेष कर राहुल को भी सोशल मीडिया पर भारी भरकम प्रेशर बनानी होगी। अभी कोई भी विषय हो BJP की सोशल मीडिया टीम सब पर हावी हो जाती है। बाकी पार्टियां या तो उनके दावों दलीलों को असत्य साबित कर रही होती है, या एक आत्मरक्षा की मुद्रा में होती है यानी एजेंडा BJP का ही चलता है। अगर सोशल मीडिया में सफल होना है क्योंकि इसके आलावा कोई और रास्ता नहीं हैं तो कांग्रेस और राहुल दोनों ही अग्रेसिव सोशल मीडिया Strategy बनानी होगी। ये सोशल मीडिया Strategy क्या होनी चाहिये इसके बारे में राहुल को इंटरनेशनल और नेशनल सभी तरह के एक्सपर्ट्स से राय लेनी चाहिये। और अगर हमको बुलाते हैं तो हम उनके लिए एक ऐसी स्टेटर्जी बना देंगे की सोती हुई पार्टी जाग जायेगी। खैर ऐसा होगा नहीं और 2024 भी राहुल का दाढ़ी में ही कट जायेगा। #gautamadani #lic #loksabha2024 https://www.youtube.com/channel/UCrqf04Yx0wkYs4NCW1rnEoA