तमिलनाडु के रहने वाले अंबलगन और उनकी पत्नी अलरमेल मंगई दोनों को भिलाई इतना पसंद आया है की उन्होंने वहाँ पर शानदार 6 करोड़ का बंगला बनवा लिया है। भिलाई में तमिलियन पापुलेशन भी बहुत है इसलिए उनको वहाँ बड़ा मजा आता है। अंबलगन दम्पति को वहाँ की प्लांनिग जो रशियन आर्किटेक ने की थी बड़ी पसंद आई और 2 एकड़ में फैला घर किसको अच्छा नहीं लगता ? रायपुर में CM हाउस एक एकड़ से कम में बना है।
अंबलगन दम्पति को करीब 3 लाख रूपए मासिक तनख्वा मिलती है और क्योकि दोनों IAS है तो 3-4 डिपार्टमेंट का सरकारी अमला मिला हुआ है इसलिए जीवन का सही आनंद 13 jan 2023 तक उठा रहे थे।
13 jan को अचानक ED की टीम उनके आशियाने पर धमक गई और शान से रह रहे अंबलगन दम्पति को डिस्टर्ब कर दिया।
अब सुनिए आगे की कहानी, भिलाई के पाश 32 बंगला इलाके में 2 नंबर के इस बंगले का जलवा देखकर ED की टीम चौक गई। पौन एकड़ का शानदार लॉन और उसके बाद शुरू होता है 5 बैडरूम का आलीशान बंगला जिसमे सुख- सुविधा की हर चीज मौजूद है।15-20 AC, सैगोन के फर्नीचर से लेकर 20-20 लाख के 5 बाथरूम।
32 बंगला भिलाई स्टील प्लांट की प्रापर्टी है और state government को ये बंगले तब दिए गए थे जब ऑफिसर्स को रहने के लिए मकानों की कमी थी। लेकिन दोनों की पोस्टिंग नया रायपुर में होने के बावजूद तमिलनाडु के ये नए ऑफिसर अलग-अलग कारों में रोज 100 किलोमीटर आना जाना पसंद करते है लेकिन ये बंगला छोड़ने को तैयार नहीं है। क्योकि इसमें उन्होंने करीब 6 करोड़ रुपय का काम करवाया है। अंबलगन को रायपुर के देवेंद्र नगर ऑफिसर कॉलोनी में भी बंगला मिला हुआ है लेकिन वो इस 32 बंगले के मकान को अपनी निजी कोठी समझते है।
NMTV ने जब पूछ-ताछ करि तो SAIL की प्रॉपर्टी को हथियाने का 1 शानदार तरीका सामने आया अंबलगन ने पहले बंगला अपने नाम अलॉट कराया। फिर BSP के स्टेट ऑफिसर को एक पत्र लिखा की वो अपने खर्च पर बंगले में सुधार कार्य करवाना चाहते है जिसकी उन्हें इजाजत दी जाये। इसके बाद अंबलगन ने BSP का 2 नंबर का बंगला पूरा गिरवा दिया और नए सिरे से 6 करोड़ की शानदार कोठी बनवा ली। ये बिना BSP और SAIL की जानकारी के किया गया काम है। किसी भी बंगले को तोड़ने, गिराने या डिज़ाइन चेंज करने के लिए फाइल स्टील मिनिस्ट्री तक जाती है। जब RTI से जानकारी मांगी गई तो BSP ने टका सा जवाब दे दिया। आखिर IAS से कौन पंगा ले।
अब ED की टीम ये जानने की कोशिश कर रही है की इस बंगले को बनाने में किस माइनिंग ठेकेदार या कंपनी ने पैसा लगाया है।
ये बात तो क्लियर है की बंगला लीगल अंबलगन की पॉपर्टी नहीं बन सकता फिर इस पर अंबलगन ने 6 करोड़ रूपए क्यों खर्च करवाये ? क्योकि वो ऐसा कर सकता है। अपने पद का उपयोग करके छत्तीसगढ़ की सम्पदा का दुरूपयोग वो कर सकता है इसलिए वो कर रहा है। ED इस पुरे मामले को DOPT और PMO में भेजेगा और अगर नहीं भेजता है तो इस मामले को कोर्ट हम ले जायेगे।
आगे आपके पास भी छत्तीसगढ़ की धन सम्पदा के दुरूपयोग की कोई दास्तान हो तो आप हमारे इस नंबर 7415776459 पर कॉन्टेक्ट करे।