छत्तीसगढ़ और बीजेपी के लिए इस साल की सबसे महत्वपूर्ण ब्रेकिंग न्यूज़ मैं आपको बताने जा रहा हूँ। महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुंबई में विराजमान रायपुर से 7 बार सांसद रहे श्री रमेश बैस का छत्तीसगढ़ की पॉलिटिक्स में पुनः आगमन तय हो गया है। दिल्ली से हमें ऐसे संकेत मिल रहे है की श्री रमेश बैस के नेतृत्व क्षमता में बीजेपी हाई कमान को विश्वास हो गया है। विनम्र स्वभाव के बैस पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके है और छत्तीसगढ़ के सबसे वरिष्ठ बीजेपी नेता है। 2003 में भी उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था , लेकिन तब उनके साथ रमन सिंह और दिलीप सिंह , जूदेव की त्रिमूर्ति थी लेकिन बीजेपी चुनाव जीत गयी। जूदेव विडिओ कांड में फस गए और बैस की जगह रमन सिंह को तवज्जो दी गई। लेकिन अब ठीक 20 वर्ष बाद फिर से कांग्रेस को हराने के लिए बैस को याद किया गया है और इस बार वह निर्विवाद रूप से सबसे सीनियर है। ऐसा समझा जा रहा है की रमन सिंह ,अरुण साव और रमेश बैस इस बार की बीजेपी त्रिमूर्ति होंगे। बैस की वापसी का मुख्य कारण है भूपेश बघेल और उनका कुर्मीवाद। अमित शाह की निति रही है की obc वर्ग के विभिन्न जातियों के लीडर्स को साधना। अभी बीजेपी का पुरे देश में हर चुनाव में obc पर फोकस है। राहुल- मोदी वाले केस में भी यह बात साफ हो गई है। इधर बघेल की भी लगातार यही कोशिश रही है की छत्तीसगढ़ को obc प्रदेश की तरह प्रदर्शित किया जाय। इसी निति के तहत बिलासपुर के सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका दिया गया है। उधर बीजेपी के कुर्मी नेता चंद्राकर और धर्मपाल कौशिक बघेल के आगे फिसटी साबित हुए है। जबकि 2009 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार रहते हुए भी , upa के दौर में बैस ने बघेल को रायपुर लोकसभा से 50 हजार से अधिक मतों से हराया था। दुर्ग ,रायपुर ,धमतरी ,महासमुंद ये कुर्मी पट्टी के रूप में देखा जाता है। यहाँ पर बैस जी का बहुत सम्मान है और वह हमेशा विवादो से दूर रहे है। अमित शाह ने उनको त्रिपुरा और झारखण्ड में राज्यपाल के रूप में भी देखा है। और बैस जी की कार्यशैली उन्हें पसंद आयी। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र जैसी महती जिम्मेदारी दी गई। बैस जी को वापस छत्तीसगढ़ बुलाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है यहाँ की पुरानी और जर्जर होती हुई बीजेपी लीडरशिप। पुराने नेता जैसे चंद्राकर ,बृजमोहन ,मूणत आदि पर बीजेपी नेतृत्व का विश्वास नहीं रहा। और जिन लोगो को मोदी लहर ने सांसद बनाया था वो भी नकारा साबित हुए है। 2018 के विधानसभा चुनाव में रमन सिंह को पूर्ण अधिकार दिए गए थे लेकिन उससे बीजेपी 15 सीटे ही ला पायी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बैस जी की टिकिट काट दी गई थी और उन्हें त्रिपुरा रवाना कर दिया गया था। इससे उन्हें ये फायदा हुआ की प्रदेश की राजनीति से वे दूर रहे लेकिन उनका कद बढ़ता रहा। बैस जी एक बहुत ही असाधारण शिल्पकार है। लकड़ी पर बनाई गई उनकी मूर्तियां देखने योग्य है। मिलनसार और आसानी से मिलने वाले नेता के रूप में उनकी पहचान है। विद्याचरण,श्यामचरण बघेल जैसे नेताओ को हराने के बाद भी कभी भी रायपुर में गुटबाजी का माहौल नहीं बनाया शायद यही कारण है की अब बीजेपी हाई कमान उनको ये नयी जिम्मेदारी सौंपना चाहते है। #chhattisgarh #bhupeshbaghel #cmo #raipur #newsupdate #brakingnews #latestnews #nmtvbyneerajmishra #nmtv #bjp #modi #amitshah #rameshbais #election2023 #elections