बेमेतरा में हिंसा। #बिरनपुर गांव के भुवनेश्वर साहू के बलिदान से #छत्तीसग़ढ का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है या यु कहे सामने आ गया है। विश्व हिन्दू परिषद् का छत्तीसगढ़ में कोई वजूद नहीं है। गिनती के 5 लीडर और 40 कार्यकर्त्ता भी नहीं है। लेकिन विहिप के आवाहन पर जिस तरह से छत्तीसगढ़ बंद को सफलता मिली है उसने कांग्रेस को अंदर तक झकझोर दिया है। जिसे हम साइलेंट वोट कहते है वो इसी तरह सामने आता है। बंद पूरी तरह से स्वफूर्त था। लोगो ने खुद ही दुकाने नहीं खोली , ऑटो नहीं चलाये और बिलासपुर छोड़कर पुरे प्रदेश में बंद पूरी तरह कामयाब रहा। क्योकि जनता ने खुद ही अपनी मंशा जाहिर कर दी। भुवनेश्वर साहू को मारने वाले जो "आरोपी गिरफ्तार किए गए है उनके नाम है रशीद ,मुख़्तार ,अकबर ,अय्यूब और शफीक वगैरह। तो अब आप समझ ही गए होंगे की मामला क्या है। #छत्तीसगढ़ में मुश्किल से 2% मुसलमान है इनकी संख्या क्रिश्चन से भी कम है। फिर भी क्या कारण है की जनता में बंद के प्रति इतना रुझान दिखाई दिया? बात साफ है की कही न कही जनता भूपेश बघेल की राजनितिक गतिविधियों से खुश नहीं है। रायपुर में जिस तरह से कुछ मुसलमानो ने मॉल असबाब पर कब्जा किया है वो सबकी नजर में है। कुछ अधिकारियो ने जिस तरह से इन लोगो के आगे घुटने टेके है इससे जनता में सही सन्देश नहीं गया होगा। #भुवनेश्वर साहू की हत्या ने पुरे साहू समाज को परोक्ष रूप से एक कर दिया है।अभी तक साहू में कृषक वर्ग का झुकाव कांग्रेस की तरफ था। लेकिन इस घटना के बाद से करीब 95% साहू बीजेपी के साथ खड़े दिख रहे है। बचे-खुचे 5% में अकर्मण्य गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू भी शामिल है। ताम्रध्वज साहू जो की शायद बेमेतरा से चुनाव भी लड़ना चाहते है अब पेशो-पेश में पड़ गए होंगे। विभिन्न आकड़ो के अनुसार छत्तीसगढ़ के पापुलेशन में साहू समाज का करीब 15% का हिस्सा है जिसका मतलब हुआ 35-40 लाख साहू समाज का संख्या बल है। अमित शाह की नीति जो की OBC वोट को डिवाइड करने की है वो अत्यंत सफल होती दिख रही है। इधर साहू वोट एक हुआ और आदिवासी और दलित की 40 सीटों पर पहले ही बीजेपी काम कर रही है। ऐसे में अंबिकापुर महाराज के बदलते तेवर कांग्रेस के लिए परेशानी बढ़ा रहे है। टी. एस. सिंहदेव का अभी अभी एक ऑडियो लीक हुआ है जिससे लगता है की वह सचिन पायलेट की राह पर चल पड़े है। वो पहले ही कह चुके है की वो अपने भतीजे को बीजेपी में जाने से नहीं रोक सकते। उनके समधी महेंद्र सिंह भी शिवराज सरकार में मंत्री है OBC वोट का विभाजन ,आदिवासी नाखुश, ED की दबिश और सिंहदेव की रबिश से घिरे हुए भूपेश बघेल को कुछ नये पैतरे दिखाने होंगे। सिर्फ प्रियंका गाँधी के सहारे कांग्रेस की अंदरूनी पॉलिटक्स तो चल सकती है। लेकिन चुनाव के लिए और भी तैयारी करनी होगी।