सुब्रमण्यम स्वामी भारतीय राजनीति के अमिताभ बच्चन है या यु कह लीजिये की अमिताभ बच्चन फिल्म जगत के सुब्रमण्यम स्वामी है। दोनों कब किसके साथ, कहा पर बैठ जायेंगे, उन्हें खुद मालूम नहीं होता।
सुब्रमण्यम स्वामी का एक ही सपना है भारत का फाइनेंस मिनिस्टर बनना। वो इकोनॉमिक्स के प्रोफ़ेसर रहे है IIT में। कानून के जानकार है। और उनके पास सोनिया गाँधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक सबकी जन्म कुण्डलिया है। अब अडानी मामले में वह एक्टिव हो गए है। अगर किसी ने उन्हों जल्दी नहीं संभाला तो गौतम अडानी 84 वर्षीय स्वामी जी का आखरी शिकार होंगे। उन्होंने PM नरेंद्र मोदी को सलाह दे दी है की अडानी के सारे प्रोजेक्ट को Nationalize कर दें। ताकि बाद में अगर अडानी विजय माल्या हो जाते है तो उनकी सारी सम्पति नीलाम की जा सके।
जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे स्वामी Emergency (आपातकाल) के दौरान अमेरिका भाग गए थे और वही से इंदिरा गाँधी के खिलाफ जहर उगल रहे थे उनके बारे में इंदिरा गाँधी का कहना था की स्वामी से न दोस्ती अच्छी है न दुश्मनी। उनके दुश्मनो की लिस्ट लम्बी है। और वो इन सबको जेल करा चुके है या कानून उलझनों में फसा चुके है। जैसे A .राजा, जयललिता, चितम्बरम, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी।
80 के दशक में उनकी जयललिता से बहुत छनती थी पर जयललिता के CM बनने के बाद दोनों में कुछ मन मुटाव हो गया। स्वामी ने 1996 में जयललिता के खिलाफ D .A . केस दाखिल कर दिया। उनका कहना था की 1 रुपए तनख्वा लेनी वाली जयललिता की 70 करोड़ की सम्पति कैसे हो गई। उस केस में जयललिता को चार साल की सजा हो गई थी और जुर्माना भी लगा।
2जी स्कैम केस में स्वामी ने 2008 में मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी थी की उन्हें टेलीकॉम मंत्री A. राजा के खिलाफ केस दायर करने की अनुमति दी जाये। मनमोहन सिंह ने 2010 तक उनकी चिट्ठी का जवाब नहीं दिया। लेकिन स्वामी ने 2जी का मुद्दा कोर्ट में चालू रखा। अंत में केस CBI के पास गया और राजा को 15 महीने की जेल हो गई।
ये स्वामी की टेक्निक है। वो किसी भी मुद्दे को लेने से पहले उसकी छान-बिन कर लेते है। उसके बाद उस केस को तब-तक नहीं छोड़ते जब तक की उनका लक्ष्य हासिल ना हो जाये। 1999 में वो सोनिया गाँधी के दोस्त थे और उन्होने अटल बिहारी की 13 महीने की सरकार को गिराने में सोनिया गांधी की मदद की थी। लेकिन उसके 1 साल के अंदर ही उन्होने सोनिया का विदेशी महिला होने का मुद्दा इतना गर्म कर दिया की अटल बिहारी की Govt. फिर वापस आ गयी। 2012 में उन्होंने सोनिया और राहुल के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामला शुरू कर दिया जो अभी भी चल रहा है।
स्वामी का सबसे अच्छा उपयोग शायद नरसिम्हा राव ने किया और उन्हें अपने पुरे कार्यकाल में एक आयोग का चैयरमेन बना कर रखा। इस दौरान राव और स्वामी ने सोनिया के विदेशी मुद्दे को काफी तूल दिया। स्वामी का कहना है की उनके सलाह पर ही राव ने Liberalization पॉलिसी लागु की थी।
कई लोगो का मानना है की स्वामी के सीआईए से सम्बन्ध है। और उन्हें सारे नेताओं की जन्म कुंडली CIA देता है। अब क्योकि स्वामी अडानी के खिलाफ एक्टिव हो गया है तो इसे भी अमेरिका की चाल के रूप में देखा जा रहा है अगर स्वामी Hidenberg रिपोर्ट पर कोई भी कानूनी कदम उठाते है तो ये मोदी सरकार के लिए मुश्किल दौर की शुरुआत होगी।